कागज़ के हर एक रद्दी टुकड़े को,
सम्भाल के रखा जाता है उन घरों में,
जहाँ कोई स्कूल नहीं जाता,
वरना चूल्हा जलाने में तकलीफ होगी,
वो खुशकिस्मत हैं जिनके बच्चे पढने जाते हैं,
वो हर साल अगली कक्षा में कूद पड़ते हैं,
और अपने पीछे छोड़ जाते हैं ढेर सारी रद्दी,
जिसे उन्होने साल भर कलम घिस कर,
मार खा कर, रो कर, सर धुन कर,
स्याही से पोता था,
हर्फ़ हर्फ़ कर सर में ठूँसा था,
और परीक्षा में उत्तर पुस्तिका पर,
इसी ज्ञान की उलटी की थी,
सुनने में घिन आती है,
मगर सच्चाई इतनी ही घिनौनी है,
या शायद इससे भी कुछ ज्यादा,
खैर, जो भी हो, बच्चों ने खूब अँक बटोरे,
और माँ को उपहार में दी ढेर सारी रद्दी,
जो इस ज्ञान के भण्डार को,
साल भर चूल्हे में फूँकेगी,
इस रद्दी का इससे अच्छा उपयोग हो भी नही सकता।
No comments:
Post a Comment