Friday, March 4, 2011

कालिख

सूरज सा जलना था,
तारों पे चलना था,
जीना था ज़िन्दगी से ज्यादा,
परबत उठाएंगे,
सागर पी जायेंगे,
ऐसा था अपना इरादा,
मगर,
वक़्त की मार से,
बच न पाया आशियाँ,
तिनका तिनका था चुना,
जा उड़ा यहाँ वहाँ,
ठूंठ जो बचे हैं वो,
पेड़ थे हरे भरे,
बैठे हैं मलाल कर,
हाथ हाथ पर धरे,
रात के ये अंधियारे,
जायेंगे गुज़र मगर,
वो कालिख छोड़ जायेंगे,
जो मिट ना पाए उम्र भर।

5 comments:

  1. अच्छी प्रस्तुति, ब्लॉग लेखन में आपका स्वागत, हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा पत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , साथ ही इस मंच के लेखक बन कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आपका इंतजार करेंगे.
    हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
    हमारा लिंक----- www.upkhabar.in/

    ReplyDelete
  2. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

    ReplyDelete
  4. Achchhi rachna hai. Pls review my hindi blog as well...

    http://mynetarhat.blogspot.in/2012/07/nepuraa-iv.html

    ReplyDelete